यमुनाजी की वधाई
दिनकर घर आनंद उदित बढ्यो अति, चल सखी आज बधावें हो ।प्रकट भई यमुना जगतारण, सब मिल मंगल गावे हो ।। १ ।।
धन्य कूंख संजारानी की, ऐसी सुता जो जाई हो ।
कृष्णप्रिय पटरानी जन्म सुन, जित तित बजत बधाई हो ।। २ ।।
चैत्रमास शुभ लग्न मुहूरत, छठ गुरूवार उजेरी हो ।
जुरत निशान नाचत नरनारी, गावत दे दे हेरी हो ।। ३ ।।
घरघर मंगल मुदित माननी, मोतिन चोक पुरावे हो ।
ध्वजा पताका कदली रोपत, वंदनवार बंधावे हो ।। ४ ।।
अधम उद्धारन कारन भू पर, भाग्यन दे दरसाई हो ।
महिमा अपरम्पार कहा कहूं, वेद पुरानन गाई हो ।। ५ ।।
मज्जन करत हरत अघ ओघन, भक्त मुक्त गति देनी हो ।
मानो विधि द्वै वैकुण्ठ चढ़न कुं, उभय तट रचि हे निश्रेनी हो ।। ६ ।।
शोभा श्री मथुरामंडल की, चरण शरण हूँ ताकि हो ।
माथुर मणि पोखत तोखत नित, जिये भरोंसे जाकी हो ।। ७ ।।
श्री विश्राम निकट वहेत हे, लागत धार सुहाई हो ।
जाके दरस परस यम किंकर, कबहूँ न देत दिखाई हो ।। ८ ।।
कीजे कृपा निज दास जानके, मन वांछित फल पाई हो ।
इच्छाराम मधुपुरी वसकें, जन्म कर्म गुण गाई हो ।। ९ ।।
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