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लाल नेक देखियें भवन हमारो

लाल नेक देखियें भवन हमारो ।
द्वितीयापाट सिंहासन बैठे अविचल राज  तिहारो ।। १ ।।
सास हमारी खरिक सिधारी पीय वन गयो सवारो ।
आसपास घर कोऊ  नाहीं   यह  एकांत  हे  न्यारो ।। २ ।।
ओट्यो दूध सद्य  धौरीको  लेहु  श्याम  घन पीजे ।
परमानंददास  को ठाकुर कछु कह्यो हमारो कीजे ।। ३ ।।

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