चंदन सुगंध अंग लगाय, आये मेरे गृह, हम ही मग जोवत, लाल तिहारो हे ।
ढीले ढीले पग धरत, धाम के सताये लाल, बोल हुन आवे बेन, कोन के वचन पारे हो ।। 1 ।।
बैठो लाल शीतल छांह, श्रम हु को निवारन होय, शीतल जल यमुना को, अनेक भांति पीजिये ।
नंददास प्रभु प्रिय, हम तो दरस की प्यासी, ऐसी नीकी करो कृपा, मोहि दरस दीजिये ।। 2 ।।
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