धन्य वृन्दा विपिन धन्य गोकुल गाम...

धन्य वृन्दा विपिन धन्य गोकुल गाम धन्य राधा  कोन  गौर  तैं  पूजी ।
धन्य बडभाग्य  सौभाग्य तेरो   सुजस  रसिक  नंदनंदन की तू बहूजी ।। १ ।।
चक्र चूड़ामनी रूप  गुन   आगरी   नाहि   त्रिभुवन   वाम   तोसी   दूजी ।
'कृष्णदास निनाथ' साथ बिलसन सदा तोही सम नाहि नवनारी सूझी ।। २ ।।

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