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मंगल धोस छठी को आयो

मंगल धोस छठी को आयो |
आनंदे व्रजराज जशोदा मनहु अधन धन पायो || १ ||
कुंवर न्हावाई जशोदारानी कुलदेवी के पाय धरायो |
बहुत प्रकार बिंजन धरी आगे सब विधि भलो मनायो || २ ||
सब व्रजनारी बधावन आई सूत को तिलक करायो |
जयजय कार होत गोकुल में परमानन्द जश गायो || ३ ||

हिम ऋतु शिशिर ऋतु अति सुखदाई

हिम ऋतु शिशिर ऋतु अति सुखदाई |
प्यारी जू  के  फरगुल    सोहे    प्रीतम   ओढ़े   सरस कवाई || १  ||
पर गये परदा ललित  तिवारी  धरी  अंगीठी  अति  सुखदाई |
जरत अंगार  धूम  अम्बर  लों  सरस सुगंध रह्यो तहां छाई || २  |
जब जब मधुर सीत तन व्यापत बैठत  अंग सों अंग मिलाई |
 श्री वल्लभ   पद  रज  प्रताप  ते  रसिक  सदा   बलि   जाई || ३  ||

बसो मेरे नयनन में दोउं चंद...

बसो मेरे नयनन में दोउं  चंद ।
गौर वरण  वृषभाननंदिनी,  श्याम  वरण   नंदनंद  ।। १ ।।
कुंज निकुंज में विहरत दोउं, अतिसुख आनंद कंद ।
रसिक प्रीतम प्रिया रसमें  माते,  परो प्रेम के  फंद ।। २ ।।

तेरे मनकी बात कौन जानेरी...

तेरे  मन की  बात कौन  जानेरी  |
जोपें   डर   होई    तो   नंदसून    बोले,   ऐसी  कौन    युवती   जो   न    मानेरी  || १ ||
तेरी  अरु  हरि की  मिलिये  चलती  है  माई,  यह  बूझ  परत  है  जिय  अपनेरी  |
कुंभनदास    प्रभु     गिरिधरन     मोहन,    यह   व्रज   युवती   औरन   गिनेरी  || २ ||

चंदन अरगजा ले आई...

चंदन  अरगजा  ले  आई, बाल  लाल के  अंग  लगावन ।
सुगंध गुलाब जल ता मध्य कपूर डारि, अंजुली भर भर लेपत गात, लागत पवन चढावन  ।। 1 ।।
नाना  बहु  भांतन के कुसुमन सों शैया  रची  मची   सुवास   बसी,  प्रीतम    मन  भावन  ।
मुरारीदास    प्रभु   ग्रीष्म    ऋतु    दाह    तपत,  तैसेई   लागि    सारंग    राग    गावन  ।। 2 ।।

मेरे घर चंदन अति कोमल

मेरे घर चंदन अति कोमल, लीजे हो सुंदर वर नायक ।
हौं अबला बहु जतन प्राणपत, कनक पात्र लाई तुम लायक ।। 1 ।।
उत्तम घस गुलाब केसरसों, विविध सुगंध बीच मिलायक ।
बहो जुवतिन मनहरण रसिक वर, नंदकुमार सुरत सुखदायक ।। 2 ।।
सुन विनती नंदनंदन पिय, बहोत भांत मधुर मृदु वायक ।
'कृष्णदास' प्रभु कृपा नैन जल, छूटे लूटत मदन के सायक ।। 3 ।।

सुन री सखी तेरो दोष नही,मेरो पिय रसिया री

सुन री सखी तेरो दोष नही,मेरो पिय रसिया री ।
नवल लाल को सबक कोहू चाहत, कौन कौन के मन बसिया री ॥
एकन सो नयना जोरें एकन सों द्रोह मरोरें,एकन सों मुख हँसिया री ।
कृष्णजीवन लखीराम के प्रभु माई संग जोरत पूरन रखिया री ॥