गावैं गुनी, गनिका, गन्धर्व औ सारद...

गावैं गुनी, गनिका, गन्धर्व  औ  सारद,   सेष  सबै गुन  गावैं ।
नाम अनन्त गनन्त गनेस-ज्यों, ब्रह्मा त्रिलोचन पार न पावैं ।। १ ।।
जोगी, जती, तपसी अरु सिध्ध, निरंतर जाहि समाधि लगावैं ।
ताहि अहीरकी छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ  पै  नाच  नचावैं ।। २ ।।

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