झूलत गोकुल चंद हिंडोरे, झुलावत सब ब्रजनारी।
संग शोभित व्रषभान नंदिनी, पेहेरे कसूंभी सारी॥१॥
पचरंगी डोरी गुहि लीनी, डांडी सरस संवारी।
आसकरण प्रभु मोहन झूलत गिरि गोवरधन धारी ॥२॥
संग शोभित व्रषभान नंदिनी, पेहेरे कसूंभी सारी॥१॥
पचरंगी डोरी गुहि लीनी, डांडी सरस संवारी।
आसकरण प्रभु मोहन झूलत गिरि गोवरधन धारी ॥२॥
No comments:
Post a Comment