आजू री, नंदलला निकस्यो...

आजू री,  नंदलला   निकस्यो,  तुलसी-बनतैं    बनकैं  मुसकातो ।
देखे बनै न बनै  कहते  अब,   सो  सुख  जो  मुख में  न  समातो ।। १ ।।
हौं रसखानि, बिलोकिबेकों कुलकानि को काज कियो हिय हातो ।
आय गई अलबेली अचानक,  ए  भटु  लाज  कौ  काज  कहा तो ?।। २ ।।

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