भरोसो श्री वल्लभ ही को भारी।
काहे को मन भटकत डोलत, जो चाहे फलकारी ॥१॥
इनको छांड औरन को जे सेवे, सो कहिये असुरारी।
पुरुषोत्तम प्रभु नाम मंत्र दे चरन कमल शिर धारी ॥२॥
काहे को मन भटकत डोलत, जो चाहे फलकारी ॥१॥
इनको छांड औरन को जे सेवे, सो कहिये असुरारी।
पुरुषोत्तम प्रभु नाम मंत्र दे चरन कमल शिर धारी ॥२॥
No comments:
Post a Comment