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सब मिली ग्वालिनी देत असीस

सब मिली ग्वालिनी देत असीस |
नंदरानी ढोटा जीवौ कोटि बरीस || १ ||

धन्य यह कूँखि भरी सुभ लच्छिन जिन सगरौ ब्रज छायौ |
ऐसौ पूत जायौ नंदरानी जिन करि अटल बसायौ || २ ||

अब यै बेगि बढौ तुमरे गृह ठुम ठुम खेलत डोलै |
श्री विठ्ठलगिरिधर रानी तुमसों मैया कही कही बोलै || ३ ||

सुनोंरी आज नवल बधायो हे...

श्री महाप्रभुजी की बधाई

सुनोंरी आज नवल बधायो हे ।
श्री लक्ष्मण गृह प्रकट भये  हें ,   श्री वल्लभ   मन  भायो हे ।। १ ।।
बाजत  आवज   ढोलक   महुवर,   घन ज्यों  ढोल बजायो हे ।
कोकिल  कंठ   नवल   वनिता    मिल,    मंगल   गायो   हे ।। २ ।।
हरदी तेल   सुगंध   सुवासित,   लालन   उबट   न्हावायो हे ।
नखशिखलों   आभूषण    भूषित,    पीताम्बर    पहरायो हे ।। ३ ।।
अशन वसन कंचन मणि  माणिक,  घरघर याचक पायो हे ।
श्री विठ्ठल गिरिधरन  कृपानिधि,   पलनामांझ   झुलायो  हे ।। ४ ।।

३० - भक्त प्रतिपाल जंजाल टारे

भक्त प्रतिपाल जंजाल टारे ।
अपने रस रंग मे संग राखत सदा,सर्वदा जोइ श्री यमुने नाम उच्चारे ॥१॥
इनकी कृपा अब कहाँ लग बरनिये, जैसे राखत जननी पुत्र बारे ।
श्री विट्ठल गिरिधरन संग विहरत, भक्त को एक छन ना बिसारे ॥२॥

Bhakt pratipaal janjaal taare.
Apne ras rang mein sang rakhat sada, sarvada joi ShriYamune naam uchaare.
Inki kripa aab kahan lag varniye, jaise rakhat janani putra vaare,
Shri Vithal Giridharan sadhak viharat, bhakt ko ek chin na bisare.

२९ - रास रससागर श्री यमुने जु जानी ।

रास रससागर श्री यमुने जु जानी ।
बहत धारा तन प्रतिछन नूतन, राखत अपने उर मां जु ठानी ॥१॥
भक्त को सहि भार हेतु जो प्रान आधार, अति हि बोलत मधुर मधुर बानी ।
श्री विट्ठल गिरिधरन बस किये, कौन पें जात महिमा बखानी ॥२॥


Raas rassagar ShriYamune ju jaani.
Bahat dhara tan pratichin nutan, rakhat apne urmanju thani.
Bhakt ko sahe baar, dhet ju pranaadhar, atihi bolat madhur madhur baani.
Shri Vithal Giridharanvar bas kiye, kaun pe jaat mahima bakhani.

३२ - श्री यमुना जी को नाम ले सोई सुभागी

श्री यमुना जी को नाम ले सोई सुभागी ।
इनके स्वरूप को सदा चिन्तन करतम कल न परत जाय नेह लागी ॥१॥
पुष्टि मारग धरम अति दुर्लभ करम छोड सगरे परम प्रेम पागी।
श्री विट्ठल गिरिधरन ऐसी निधि, भक्त को देत है बिना माँगी ॥२॥


ShriYamune ke naam le soi suhaagi.
Inke svarup ko sada chintan karat, kal na parat jaye leha laagi.
Pushtimarg maram atihi durlab karam, chhaad sagre param prempaagi,
ShriVithal Giridharan aisi nidhi, bhaktko det hain  bina maangi.

३१ - कौन पे जात श्री यमुने जु बरनी

कौन पे जात श्री यमुने जु बरनी ।
सबही को मन मोहत मोहत मोहन , सो पिया को मन है जु हरनी ॥१॥
इन बिना एक छिन रहत नही जीवन धन, ब्रज चन्द मन आनन्द करनी ।
श्री विट्ठल गिरिधरन संग आये, भक्त के हेत अवतार धरनी ॥२॥

Kaun pe jaat ShriYamune jo barni.
Sabhi ko man mohat mohan, so Piya ko man hai ju harni.
In bina ek chan rahat nahi jeevan dhan, brujchand man anand karni,
Shri Vithal Giridharan sang aay, bhaktke het avtaar dharni.