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जागिये गोपाललाल जननी बल जाई

जागिये गोपाललाल जननी बल जाई |
उठो तात प्रात भयो, रजनी को तिमिर गयो, टेरत सब ग्वाल बाल, मोहना कन्हाई || १ ||
उठो मेरे आनंदकंद, गगन चंद मंद भयो, प्रकट्यो अंशुमान भानु-कमलने सुखदाई |
सखा सब पूरत वेणु, तुम विना न छूटे धेनु, उठो लाल तजो सेज, सुंदर वरराई || २ ||

 मुखते पट दूर कियो, यशोदाको दरस दियो, ओर दधि मांग लियो, विविध रस मिठाई |
जेवत दोउ राम श्याम, सकल मंगल गुणनिधान, थारमें कछु जूठ रही, मानदास पाई || ३ ||

जागिये गोपाल लाल जननी बलि जाई

जागिये गोपाल लाल जननी बलि जाई ।
उठो तात भयो प्रात रजनी को तिमिर घट्यो, आये सब ग्वालबाल मोहना कन्हाई ॥१॥
उठो मेरे आनंद कंद, चंद किरण मंद भई प्रकट्यो आकाश भानु कमलन सुखदाई।
संगी सब चरात धेनु, तुम बिना न बाजी वेणु, उठो लाल तजो सेज सुंदर वरराई ॥२॥
मुखतें पट दूर कियो, यशोदा को दरस दियो दधि माखन मांग लियो विविध रस मिठाई ।
जेमत दोउ राम श्याम सकल मंगल गुण निधान थार में कछु जूठन रही मानदास पाई ॥३॥