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फूल भवन में गिरिधर बैठे

फूल भवन में गिरिधर बैठे फूलन को शोभीत सिंगार।
फूलन को कटी बन्यो पिछोरा फूलन बांधे पेंच संवार ॥
फूलनकी बेनी जू बनी सीर फूलन के जू बने सब हार ।
फूलन के मुक्त छबी छाजत फूलन लटकन सरस संवार ॥
करन फूल फूलन कर पॉहोची गेंद फूल जल करत विहार ।
राधा माधो हसत परस्पर दास निरखत डारत तन वार ॥

फूलन की सारी पैहरै तन, फूलन की कंचुकी

फूलन की सारी पैहरै तन, फूलन की कंचुकी, फूलन की ओढ़नी अंग अंग, फूले ललना के मन ।
फूलन के    नकवेसरी,   फूलन की   माला,    फूलन के   आभरन   केस   गूंथे    फूलन    धन ।। १ ।।

फूलन के   हावभाव,     फूलन के     चोप    चाऊ,     विविध     वरन      फूल्यौं       वृन्दावन ।
श्री गिरिधारी पिय के  फूल  नाहिं  कोउ   समतूल,   गावति  बसंत  राग  मिली  जुवती   जन ।
कृष्णदास बलिहारी  छिनु  छिनु  रखवारी,   अखिल  लोक  जुवति,    राधिका   प्राण   प्यारी ।। २ ।।

फूलन की सारी पैहरै तन, फूलन की कंचुकी

फूलन की सारी पैहरै तन, फूलन की कंचुकी, फूलन की ओढ़नी अंग अंग, फूले ललना के मन ।
फूलन के    नकवेसरी,   फूलन की   माला,    फूलन के   आभरन   केस   गूंथे    फूलन    धन ।। १ ।।

फूलन के   हावभाव,     फूलन के     चोप    चाऊ,     विविध     वरन      फूल्यौं       वृन्दावन ।
श्री गिरिधारी पिय के  फूल  नाहिं  कोउ   समतूल,   गावति  बसंत  राग  मिली  जुवती   जन ।
कृष्णदास बलिहारी  छिनु  छिनु  रखवारी,   अखिल  लोक  जुवति,    राधिका   प्राण   प्यारी ।। २ ।।

लन की मंडली मनोहर...

फूलन की   मंडली   मनोहर   बैठे  जहां  रसिक  पिय  प्यारी ।
फूलन के बागे और भूषण फूलन के फूलनही की पाग संवारी ।। १ ।।
ढिंग  फूली  वृषभाननंदिनी     तैसी  ये  फूल  रही  उजियारी ।
फूलन  के   झूमका   झरोखा   बहु  फूलन की   रची   अटारी ।। २ ।।
फूले सखा चकोर निहारत   बिच  चंद   मिल  किरण संवारी ।
चतुर्भुजदास   मुदित   सहचारी   फूले   लाल   गोवर्धनधारी ।। ३ ।।

फूलन के महेल बने

फूलन के महेल बने, फूलन  वितान  तने, फूलन के छाजे  झरोखा, फूलन की  किंवार है  ।
फूलन की  गादी  गूंथी,   तकिया फूलन के,   बैठे   श्याम  श्यामा,   शोभित    अपार है ।। 1 ।।
फूलन के       बसन,     आभूषण    बिराजें,    फूलन   के   फोंदा   फूल,   उर   हार   हैं  ।
नंददास प्रभु  फूले,  निरखत  सुधिबुधि  भूले, शुकदेव   नारद  शारद, रटत  वारंवार  हैं  ।। 2 ।।

फूलन की मंडली मनोहर बैठे जहाँ रसिक

फूलन की मंडली मनोहर बैठे जहाँ रसिक पिय प्यारी ।
फूलन के बागे और भूषण फूलन की पाग संवारी ॥१॥
ढिंग फूली वृषभान नंदिनी तैसिये फूल रही उजियारी ।
फूलन के झूमका झरोखा बहु फूलन की रची अटारी ॥२॥
फूले सखा चकोर निहारत बीच चंद मिल किरण संवारी ।
चतुर्भुज दास मुदित सहचारी फूले लाल गोवर्धन धारी ॥३॥

बैठे लाल फूलन की चौखंडी

बैठे लाल फूलन की चौखंडी ।
चंपक बकुल गुलाब निवारो रायवेलि श्री खंडी ॥१॥
जाई जुई केवरो कुंजो कनक कणेर सुरंगी ।
चतुर्भुज प्रभु गिरिधर जु की बानिक दिन दिन नव नवरंगी ॥२॥

फूलन के महल फूलन की शय्या फूले कुंजबिहारी

फूलन के महल फूलन की शय्या फूले कुंजबिहारी फूली श्री राधाप्यारी ।
फूले दंपति आनंद मगन फूले फूले गावत तानन न्यारी ॥१॥
फुले फुले कमल लिए कर फूले आनंद है सुखकारी ।
हरिनारायण श्यामदास के प्रभु पिय तिन पर वारों फूल चंपक वेलि निवारी ॥२॥

फूलन की मंडली मनोहर

फूलन की मंडली मनोहर बैठे मदन मोहन पिय राजत ।
प्रसरित कुसुम सुवासित चहुँदिश लुब्ध मधुप गुंजारत गाजत ॥१॥
पहरे विविध भांत आभूषण पीतांबर वैजयंती छाजत ।
देखि मुखारविंद की शोभा रतिपति आतुर भयो अति भ्राजत ॥२॥
एकरूप बहुरूप परस्पर वरणों कहा देख मन लाजत ।
रसिकचरण सरोज आसरो करिवे कोटि यत्न जिय साजत ॥३॥