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खेलन खेलन आये हरि नंदगाम ते रंगभीने बरसानें

खेलन खेलन आये हरि   नंदगाम  ते   रंगभीने   बरसानें ।
मृगमद   भेद   अरगजा   चोवा,   सब   नारी   नर   साने ।। १ ।।

दृग ढिंग छांड  मांड  केसरमुख   रिम्कत   सुख  सरसाने ।
बिन   कारज   कारज   कर  राखे   शोभित चख अरसाने ।। २ ।।

सोई  अंजन  विष  ईषद   लोचन    चढ़े   मदन   खरसाने ।
कृष्ण जीवन लछीराम के प्रभु कौं रिम्की भरति अंक्बारी ।। ३ ।।

ब्रह्म मैं ढूँढयौ पुरानन गानन...

ब्रह्म मैं ढूँढयौ पुरानन गानन,   बेद-रिचा सुनि चौगुने चायन ।
देख्यो सुन्यो कबहूँ न कितै, वह कैसे सरूप औ  कैसे सुभायन ।। १ ।।
टेरत हेरत हारि परयौ, रसखानि,   बतायो  न  लोग-लुगायन ।
देखौ, दुर्यौ वह कुंज-कुटीर में, बैठ्यौ  पलोटत राधिका-पायन ।। २ ।