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सब सखी कसुंबा छठ ही मनावो

सब सखी कसुंबा छठ ही मनावो ।
अपने अपने भवन भवनमें, लाल ही लाल बनावो ।। 1 ।।
बिविध सुगंध उबटनों लेकें, लालन उबट न्हवावो ।
उपरना लाल कसुंबी कुल्हे, आभूषन लाल धरावो ।। 2 ।।
 यह छबि निरख निरख व्रजसुन्दरि, मन मन मोद बढ़ावें ।
लाल लकुटी कर मुरली बजावे, रसिक सदा गुन गावे ।। 3