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ધનતેરસ દિન અતિ સુખદાઈ

ધનતેરસનું પદ : ધનતેરસ દિન અતિ સુખદા

ધનતેરસ દિન અતિ સુખદાઈ |
રાધા મન અતિ મોદ  બઢ્યો  હૈ મનમોહન ધન પાઈ  || ૧ ||
રાખત પ્રીતિ  સહિત  હૃદયમેં  ગુરુજન   લાજ   વહાઈ |
દ્વારકેશ પ્રભુ  રસિક  લાડીલી નિરખ નિરખ મન ભાઈ || ૨ ||

नन्द को मनवांछित दिन आयो.

नन्द को  मनवांछित  दिन  आयो  ।
फुली  फिरत   यशोदा   रोहिनी,   उर   आनंद  न  समायो  ।। 1 ।।
गाम   गामतें    जाति   बुलाई,    मोतिन   चोक   पुरायो  ।
व्रजवनिता  सब  मंगल   गावत,   बाजत   घोष   बधायो  ।। 2 ।।
प्रथम  रात्रि  यमुनाजल  घट  भरि,   अधिवासन  करवायो  ।
उठि  प्रभात  कंचन  चोकी  धरि,   तापर   लाल    बेठायो  ।। 3 ।।
राज    बेठ    अभिषेक    करत   हें,   विप्रन   वेद  पढ़ायो  ।
जेष्ठ  शुक्ल  पून्यो  दिन  सुरबधु, हरखि  फूल  वरखायो  ।। 4 ।।
रंगी      कोर     धोती   उपरेना,    आभूषण    सब    साज ।
द्वारकेश   आनंद   भयो  प्रभु,     नाम     धर्यो   व्रजराज ।। 5 ।।

तत्व गुन बान भुवि माधवासित तरनि

तत्व गुन बान भुवि माधवासित तरनि प्रथम भगवद दिवस प्रगट लछमन सुवन।
धन्य चम्पारण्य मन त्रैलोकजन अन्य अवतार होय है न ऐसो भुवन॥१॥
लग्न वसु कुंभ गति केतु कवि इंदु सुख मीन बुध उच्च रवि वैर नासे।
मंद वृष कर्क गुरु भौम युत तम सिंघ योग ध्रुवकरन बव यस प्रकासे॥२॥
ऋच्छ धनिष्ठा प्रतिष्ठा अधिष्ठान स्थित विरह वदना-नलाकार हरिको।
येहि निस्चै द्वरकेस इनकी सरन और वल्भाधीस सर को ॥३॥

आसरो एक दृढ श्री वल्लभाधीश को

आसरो एक दृढ श्री वल्लभाधीश को।
मानसी रीत की मुख्य सेवा व्यसन, लोक वैदिक त्याग शरन गोपीश को॥१॥
दीनता भाव उदबोध गुनगान सो घोष त्रिय भावना उभय जाने।
श्री कृष्ण नाम स्फुरे पल ना आज्ञा टरे कृति वचन विश्वास दृढ चित्त आने॥२॥
भगवदी जान सतसंग को अनुसरे, नादेखे दोष अरु सत्य भाखे।
पुष्टि पथ मर्म दश धर्म यह विधि कहे, सदा चित्त में द्वारकेश राखे॥३॥