Showing posts with label आसकरण जी. Show all posts
Showing posts with label आसकरण जी. Show all posts

राखी बांधत बहिन सुभद्रा बल अरु श्री गोपाल के

राखी बांधत बहिन सुभद्रा बल अरु श्री गोपाल के।
कंचन रत्न थार भरि मोती तिलक दियो नंदलाल के॥१॥

आरति करत रोहिणी जननी अंतर बढे अनुराग के।
आसकरण प्रभु मोहन नागर, प्रेम पुंज ब्रज बाल के॥२॥

આજ દૂજ ભૈયાકી

આજ  દૂજ  ભૈયાકી  કહીયત  કરલીયે   કંચનથાલકે |
કરો તિલક તુમ બહેન સુભદ્રા બલ અરુ શ્રી ગોપાલકેં || ૧ ||
આરતી કરત દેત   નોછાવર   વારત   મુક્તામાલકે |
આસ્કરણ  પ્રભુ  મોહન  નાગર પ્રેમ પુંજ વ્રજબાલકે || ૨ ||

राखी बांधत बहिन सुभद्रा बल अरु श्री गोपाल के

राखी बांधत बहिन सुभद्रा बल अरु श्री गोपाल के।
कंचन रत्न थार भरि मोती तिलक दियो नंदलाल के॥१॥
आरति करत रोहिणी जननी अंतर बढे अनुराग के।
आसकरण प्रभु मोहन नागर, प्रेम पुंज ब्रज बाल के॥२॥

झूलत गोकुल चंद हिंडोरे

झूलत गोकुल चंद हिंडोरे, झुलावत सब ब्रजनारी।
संग शोभित व्रषभान नंदिनी, पेहेरे कसूंभी सारी॥१॥
पचरंगी डोरी गुहि लीनी, डांडी सरस संवारी।
आसकरण प्रभु मोहन झूलत गिरि गोवरधन धारी ॥२॥