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प्रकटी सूरजसुता अधम उद्धारन को...

यमुनाजी की वधाई

प्रकटी सूरजसुता  अधम उद्धारन को, को कहे महिमा...को कहे महिमा जाकी ।
छठी उजेरी चैत्र मास की उपजी वेली उपजी वेली  सुधाकी ।। १ ।।
पटरानी, पटरानी, प्यारी सी यमुनाजी (२ )
श्री व्रजराज ललाकी..., रास विलास, रास विलास महासुख देनी...
रास विलास महासुख देनी... अदभुत केलि कला की  ।। २ ।।
अब हाँ हो ...  गंगं  गंरें गंरेंसां  गंमंपंगमंरें सां धपमग गपधनीनी धपगंगं  गंरें गंरेंसांनीसां
ईच्छाराम गिरिधर की जीवन... ईच्छाराम गिरिधर की जीवन..
शोभा,  शोभा श्री मथुरा मंडल की (२ )  ।। ३ ।।

दिनकर घर आनंद उदित बढ्यो अति...

यमुनाजी की वधाई

दिनकर घर आनंद उदित बढ्यो अति, चल सखी आज बधावें हो ।
प्रकट   भई   यमुना    जगतारण,    सब   मिल  मंगल  गावे  हो ।। १ ।।
धन्य   कूंख   संजारानी  की,      ऐसी     सुता     जो    जाई    हो ।
कृष्णप्रिय  पटरानी  जन्म सुन,     जित    तित बजत बधाई हो ।। २ ।।
चैत्रमास  शुभ   लग्न     मुहूरत,    छठ    गुरूवार    उजेरी      हो ।
जुरत    निशान    नाचत   नरनारी,      गावत   दे   दे   हेरी     हो ।। ३ ।।
घरघर   मंगल   मुदित   माननी,     मोतिन     चोक    पुरावे  हो ।
ध्वजा    पताका    कदली      रोपत,      वंदनवार      बंधावे    हो ।। ४ ।।
अधम   उद्धारन      कारन    भू  पर,    भाग्यन  दे    दरसाई   हो ।
महिमा   अपरम्पार    कहा    कहूं,      वेद     पुरानन    गाई   हो ।। ५ ।।
मज्जन  करत  हरत  अघ  ओघन,   भक्त  मुक्त  गति देनी हो ।
मानो विधि  द्वै  वैकुण्ठ  चढ़न कुं,  उभय तट रचि हे निश्रेनी हो ।। ६ ।।
शोभा     श्री     मथुरामंडल  की,    चरण    शरण  हूँ   ताकि   हो ।
माथुर    मणि   पोखत  तोखत  नित,   जिये   भरोंसे  जाकी  हो ।। ७ ।।
श्री विश्राम    निकट    वहेत    हे,      लागत    धार     सुहाई   हो ।
जाके   दरस   परस   यम   किंकर,    कबहूँ   न  देत दिखाई   हो ।। ८ ।।
कीजे   कृपा   निज   दास   जानके,   मन  वांछित  फल  पाई हो ।
इच्छाराम     मधुपुरी    वसकें,    जन्म    कर्म   गुण    गाई   हो ।। ९ ।।