आजु सखी री तेरैं आवैंगे, हरि खेलन कौं फाग री ।
सगुन संदेस सुन्यौ हौ तेरै, आंगन बोले काग री ।। १ ।।
मनमोहन, तेरे बस माई, सुनि राधे बडभाग री ।
बाजत ताल, मृदंग, झांझ, डफ, को सोवै, उठि जाग री ।। २ ।।
चोवा चंदन लै कुमकुम, अरु केसरि, पैयाँ लाग री ।
सूरदास प्रभु तिहारे दरस को, आवत अचल सुहाग री ।। ३ ।।
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