प्रकटी सूरजसुता अधम उद्धारन को...

यमुनाजी की वधाई

प्रकटी सूरजसुता  अधम उद्धारन को, को कहे महिमा...को कहे महिमा जाकी ।
छठी उजेरी चैत्र मास की उपजी वेली उपजी वेली  सुधाकी ।। १ ।।
पटरानी, पटरानी, प्यारी सी यमुनाजी (२ )
श्री व्रजराज ललाकी..., रास विलास, रास विलास महासुख देनी...
रास विलास महासुख देनी... अदभुत केलि कला की  ।। २ ।।
अब हाँ हो ...  गंगं  गंरें गंरेंसां  गंमंपंगमंरें सां धपमग गपधनीनी धपगंगं  गंरें गंरेंसांनीसां
ईच्छाराम गिरिधर की जीवन... ईच्छाराम गिरिधर की जीवन..
शोभा,  शोभा श्री मथुरा मंडल की (२ )  ।। ३ ।।

No comments:

Post a Comment