बसंत राजभोग खेल के पद
और राग सब भये बाराती दूल्हे राग बसंत ।
मदन महोच्छव आज सखी री बिदा भयौ हेमंत ।। १ ।।
मधुरे सूर कोकिल कल कूजत बोलति मोर हंसत ।
गावति नारि पंचम सूर ऊँचे जैसें पिक गुनवंत ।। २ ।।
हाथन लई कनक पिचकाई मोहन चाल चलन्ति ।
कुंभनदास स्यामा प्यारी कों मिल्यो हे भांमतो कंत ।। ३ ।।
मदन महोच्छव आज सखी री बिदा भयौ हेमंत ।। १ ।।
मधुरे सूर कोकिल कल कूजत बोलति मोर हंसत ।
गावति नारि पंचम सूर ऊँचे जैसें पिक गुनवंत ।। २ ।।
हाथन लई कनक पिचकाई मोहन चाल चलन्ति ।
कुंभनदास स्यामा प्यारी कों मिल्यो हे भांमतो कंत ।। ३ ।।
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