आवो पियरवा सुरिजन मितवा, रंगभर मोरे घर आवो ।
एक ले आई गुलाल साजन, सुरिजन होरी खेले, मोह रही ब्रजबाला ।। १ ।।
बाजत ताल, मृदंग अधोटी, बिना बेन रसाल ।
कृष्णजीवन प्रभु होरी खेले, होरी के दिन चार ।। २ ।।
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