खेलन खेलन आये हरि नंदगाम ते रंगभीने बरसानें

खेलन खेलन आये हरि   नंदगाम  ते   रंगभीने   बरसानें ।
मृगमद   भेद   अरगजा   चोवा,   सब   नारी   नर   साने ।। १ ।।

दृग ढिंग छांड  मांड  केसरमुख   रिम्कत   सुख  सरसाने ।
बिन   कारज   कारज   कर  राखे   शोभित चख अरसाने ।। २ ।।

सोई  अंजन  विष  ईषद   लोचन    चढ़े   मदन   खरसाने ।
कृष्ण जीवन लछीराम के प्रभु कौं रिम्की भरति अंक्बारी ।। ३ ।।

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