ब्रह्म मैं ढूँढयौ पुरानन गानन...

ब्रह्म मैं ढूँढयौ पुरानन गानन,   बेद-रिचा सुनि चौगुने चायन ।
देख्यो सुन्यो कबहूँ न कितै, वह कैसे सरूप औ  कैसे सुभायन ।। १ ।।
टेरत हेरत हारि परयौ, रसखानि,   बतायो  न  लोग-लुगायन ।
देखौ, दुर्यौ वह कुंज-कुटीर में, बैठ्यौ  पलोटत राधिका-पायन ।। २ ।

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