ब्रह्म मैं ढूँढयौ पुरानन गानन, बेद-रिचा सुनि चौगुने चायन ।
देख्यो सुन्यो कबहूँ न कितै, वह कैसे सरूप औ कैसे सुभायन ।। १ ।।
टेरत हेरत हारि परयौ, रसखानि, बतायो न लोग-लुगायन ।
देखौ, दुर्यौ वह कुंज-कुटीर में, बैठ्यौ पलोटत राधिका-पायन ।। २ ।
देख्यो सुन्यो कबहूँ न कितै, वह कैसे सरूप औ कैसे सुभायन ।। १ ।।
टेरत हेरत हारि परयौ, रसखानि, बतायो न लोग-लुगायन ।
देखौ, दुर्यौ वह कुंज-कुटीर में, बैठ्यौ पलोटत राधिका-पायन ।। २ ।
No comments:
Post a Comment