मारा घटमां बिराजता श्रीनाथजी यमुनाजी महाप्रभुजी

मारा घटमां बिराजता श्रीनाथजी यमुनाजी महाप्रभुजी
मारु मनडुं छे गोकुल वनरावन
मारा तनना आंगिणयांमां तुलसीना वन
हे मारा प्राण जीवन….
मारा आतमना आंगणे श्रीमहाप्रभुजी
मारी आंखो वशे गिरधारी रे धणी
मारु तन मन गयुं छे जेने वारी रे वारी
हे मारा श्याम मोरारि…..
मारा घटमां बिराजता श्रीनाथजी यमुनाजी श्रीमहाप्रभुजी….
हुं तो नित्य विठ्ठल वर नी सेवा रे करुं
हुं तो आठे समा केरी झांखी रे करुं
में तो चितडुं श्रीनाथजी ने चरणे धर्युं
जीवन सफळ कर्युं …..
मारा घटमां बिराजता श्रीनाथजी यमुनाजी श्रीमहाप्रभुजी….
हे मारा प्राण थकी मने वैष्णव व्हाला
नित्य करता श्रीनाथजी ने काला रे वाला
मे तो वल्लभ प्रभुजी ना कीधां छे दर्शन
मारुं मोही लीधुं मन…..
मारा घटमां बिराजता श्रीनाथजी यमुनाजी श्रीमहाप्रभुजी….
में तो भक्ति रे मारग केरो संग रे साध्यो
में तो पुष्टि रे मारग केरो संग रे साध्यो
मने धोळ किर्तन केरो रंग रे लाग्यो
में तो लालानी लाली केरो नंग रे मांग्यो
हीरलो हाथ लाग्यो…..
मारा घटमां बिराजता श्रीनाथजी यमुनाजी श्रीमहाप्रभुजी….
मारी अंत समय केरी सुणो रे अरजी
ले जो श्रीजीबावा शरणोमां दया रे करी
मने तेडां रे यम केरां कदी न आवे
मारो नाथ तेडावे…..
मारा घटमां बिराजता श्रीनाथजी यमुनाजी श्रीमहाप्रभुजी….

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