चलो सखी कुंज गोपाल जहां

चलो सखी कुंज गोपाल जहां ।
तेरी सों मदनमोहनपें, चल ले जाऊं तहां ।। 1 ।।
आछें कुसुम मंद मलयानिल, तरु कदम्ब की छांह ।
तहां निवास कियो नंदनंदन, चित तेरे मन मांह ।। 2 ।।
ऐसीरी बात सुनत व्रज सुंदर, तोहि रह्यो क्यों भावें ।
परमानंद स्वामी मनमोहन, भाग्य बड़े ते पावे ।। 3 ।।

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