गोविंद लीजै छाक तिहारी

गोविंद लीजै छाक तिहारी ।
भई बड़ी बेर, बैठी मग चितवत, रसना टेरत हारी ।। 1 ।।
बहु बिंजन पकवान मिठाई, तुम लायक रुचिकारी ।
कीनी भली तुम, आई गोपीजन, भूख लगी अति भारी ।। 2 ।।
जमुना तीर कदमकी छैया, मंडल रचना कीनी ।
चत्रभुज प्रभु, गिरिधरन लाल तब, छाक बाँट सब लीनी ।। 3 ।।

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