यह लीला सब करत कन्हाई।
उत जेमत गोवर्धन के संग, इत राधा सों प्रीत लगाई॥१॥
इत गोपिन सों कहत जिमावो उत आपुन जेमत मनलाई।
आगे धरे छहों रस व्यंजन, चहूं दिश तें अति अरग बढाई॥२॥
अंबर चढे देवगण देखत जय ध्वनि करत सुमन बरखाई।
सूर श्याम सबके सुखकारी भक्त हेत अवतार सदाही॥३॥
उत जेमत गोवर्धन के संग, इत राधा सों प्रीत लगाई॥१॥
इत गोपिन सों कहत जिमावो उत आपुन जेमत मनलाई।
आगे धरे छहों रस व्यंजन, चहूं दिश तें अति अरग बढाई॥२॥
अंबर चढे देवगण देखत जय ध्वनि करत सुमन बरखाई।
सूर श्याम सबके सुखकारी भक्त हेत अवतार सदाही॥३॥
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