केसर की धोती पहिरें, केसरी उपरना ओढें, तिलक मुद्रा धरि बैठें श्री लछमन भट धाम।
जन्म द्यौस जानि जानि, अद्भुत रुचि मानि मानि, नख सिख की सोभा ऊपर वारों कोटि काम॥१॥
सुंदरताई निकाई तेज प्रताप अतुलताई आस पास युवतीजन करत हैं गुनगान।
पद्मनाभ प्रभु विलोकि गिरिवरधर वागधीस यह अवसर जे हुते ते महा भाग्यवान॥२॥
जन्म द्यौस जानि जानि, अद्भुत रुचि मानि मानि, नख सिख की सोभा ऊपर वारों कोटि काम॥१॥
सुंदरताई निकाई तेज प्रताप अतुलताई आस पास युवतीजन करत हैं गुनगान।
पद्मनाभ प्रभु विलोकि गिरिवरधर वागधीस यह अवसर जे हुते ते महा भाग्यवान॥२॥
No comments:
Post a Comment