बात हिलग की कासों कहिये |
सुनरी सखी व्यथा यातनकी समझ समझ मन चुप कर रहिये || १ ||
मरमी विना मरम को जानें यह उपहास जान जग सहिये |
चतुर्भुज प्रभु गिरिधरन मिलें जब तब ही सब सुख पैये || २ ||
सुनरी सखी व्यथा यातनकी समझ समझ मन चुप कर रहिये || १ ||
मरमी विना मरम को जानें यह उपहास जान जग सहिये |
चतुर्भुज प्रभु गिरिधरन मिलें जब तब ही सब सुख पैये || २ ||
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