होरी आई रे कान्हा ब्रज के बसिया होरी आई रे

होरी आई रे कान्हा ब्रज के बसिया होरी आई रे
होरी आई होरी आई होरी आई रे, ब्रज के बसिया  होरी आई रे ।। ध्रु.।। 

ईत तें आई कुंवरी राधिका , उत  तें आई   गोपी,
तित तें आये कान्ह कुंवरवा   जीतते आये ग्वाल,
भरभर पिचकारी मारी स र र र र र र
होरी खेले रसिया , ब्रज के  बसिया  होरी आई रे  ।। १ ।।

अबीर गुलाल की आंधी छाई, कुमकुम की मची कीच,
ग्वालबाल सब मंडल घेरे, बिचमे कृष्ण कन्हाई,
ब्रज की   नारी  गारी  बोले  ह र र र र  र
हरहर  हंसिया,  ब्रज के   बसिया   होरी  आई रे ।। २ ।।

पुरुषोत्तम प्रभु रस के रसिया,होरी के ससिया रे,
रंगरंग भर होरी खेले, खेले खेले खेले रसिया रे,
नंदगाम बरसानो छक्यो रे, ब्रज घर घर आनंद भयो रे ,
ब्रज घरघर आनंद म ग न न न न न
रसिया मन बसिया, ब्रज के बसिया होरी आई रे ।। ३ ।।

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