आज अति नीके बनेरी गोपाल ।
ख़ासा को कटि बन्यो है पिछोरा, उर मोतिन की माल ।। 1 ।।
पाग चौकरी सीस बिराजत, चंदन सोहत भाल ।
कुंडल लोल कपोल बिराजत, कर पहोंची बनमाल ।। 2 ।।
धेनु चराय सखन संग आवत, हाथ लकुटिया लाल ।
परमानंद प्रभु की छबि निरखत, मोहि रही व्रजबाल ।। 3 ।।
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