छगन मगन प्यारे लाल कीजिये कलेवा ।
छींके ते सघरी दधीऊखल चढ काढ धरी, पहरि लेहु झगुलि फेंट बांध लेहु मेवा ॥१॥
यमुना तट खेलन जाओ, खेलत में भूख न लागे कोन परी प्यारे लाल निश दिन की टेवा।
सूरदास मदन मोहन घरहि क्यों न खेलो लाल देउंगी चकडोर बंगी हंस मोर परेवा ॥२॥
छींके ते सघरी दधीऊखल चढ काढ धरी, पहरि लेहु झगुलि फेंट बांध लेहु मेवा ॥१॥
यमुना तट खेलन जाओ, खेलत में भूख न लागे कोन परी प्यारे लाल निश दिन की टेवा।
सूरदास मदन मोहन घरहि क्यों न खेलो लाल देउंगी चकडोर बंगी हंस मोर परेवा ॥२॥
No comments:
Post a Comment