कमलसी अखियाँ लाल तिहारी |
तिनसों तकतक तीर चलावत वेधत छतियां हमारी || १ ||
इन्हें कहा कोऊ दोष लगावत ये अजहूँ न संभारी |
श्री विठ्ठल गिरिधारी कृपानिधि सूरत ही ते सुखकारी || २ ||
तिनसों तकतक तीर चलावत वेधत छतियां हमारी || १ ||
इन्हें कहा कोऊ दोष लगावत ये अजहूँ न संभारी |
श्री विठ्ठल गिरिधारी कृपानिधि सूरत ही ते सुखकारी || २ ||
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