अक्षय तृतीया शुभदिन नीको, चंदन पेहेरत नवलकिशोर ।
उज्जवल वसन, नवीन सो राजत, फेंटा के नीके छटछोर ।। १ ।।
केसर तिलक माल फूलनकी, पेहेरें ठाडें रंग भरें ।
आसपास, युवतीजन शोभित, गावत मंगल गीत खरें ।। २ ।।
मुसकत हैं थोरे थोरे से, बोलत रसाल लखीरी ।
अति अनुराग, भरें मोहन कों, कृष्णदास तहां देत है बीरी ।। ३ ।।
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