वन्दों अवधश्री गोकुल गाम ।
ईते राजत जानकी वर, उतें श्यामा श्याम ।। १ ।।
ईते सरयू वहत निरमल, उते यमुना नीर ।
हरत कलि विष युगल मूरत, जान जनकी पीर ।। २ ।।
ईते शवरी स्वर्ग दीनों, चित्रकूट बनाई ।
उते कुब्जा रूप दीनों, चंदन चारू घिस लाई ।। ३ ।।
ईते खेवत सखा-तारे, बेठिकें रघुराई ।
उते कर नख भूप तारे, कर गहे यदुराई ।। ४ ।।
ईते शारंगपाणि सोहे, ललित लछमन धीर ।
उते मुरली, कर बीराजे, हल गहें बलवीर ।। ५ ।।
ईते गौतम घरनि की गति, कीनी राम सुजान ।
उते द्रौपदी लाज राखी, द्वारका पति कान्ह ।। ६ ।।
धीर सागर राम मूरत, करे गीध निहाल ।
उते गज वैकुंठ पठ्यो, दोरिकें नंदलाल ।। ७ ।।
कबहु बाबा नंद के घर, जात माखन खात ।
तनक भोजन करो विलमो, कहत कौशल्या मात ।। ८ ।।
भक्त हेत अवतार लीनें, धरी दोऊ अवतार ।
दास तुलसी शरण आये, कोऊ उतारे पार ।। ९ ।।
ईते राजत जानकी वर, उतें श्यामा श्याम ।। १ ।।
ईते सरयू वहत निरमल, उते यमुना नीर ।
हरत कलि विष युगल मूरत, जान जनकी पीर ।। २ ।।
ईते शवरी स्वर्ग दीनों, चित्रकूट बनाई ।
उते कुब्जा रूप दीनों, चंदन चारू घिस लाई ।। ३ ।।
ईते खेवत सखा-तारे, बेठिकें रघुराई ।
उते कर नख भूप तारे, कर गहे यदुराई ।। ४ ।।
ईते शारंगपाणि सोहे, ललित लछमन धीर ।
उते मुरली, कर बीराजे, हल गहें बलवीर ।। ५ ।।
ईते गौतम घरनि की गति, कीनी राम सुजान ।
उते द्रौपदी लाज राखी, द्वारका पति कान्ह ।। ६ ।।
धीर सागर राम मूरत, करे गीध निहाल ।
उते गज वैकुंठ पठ्यो, दोरिकें नंदलाल ।। ७ ।।
कबहु बाबा नंद के घर, जात माखन खात ।
तनक भोजन करो विलमो, कहत कौशल्या मात ।। ८ ।।
भक्त हेत अवतार लीनें, धरी दोऊ अवतार ।
दास तुलसी शरण आये, कोऊ उतारे पार ।। ९ ।।
No comments:
Post a Comment