डोल झूले श्याम श्याम सहेली

डोल झूले श्याम श्याम सहेली ।
राजत नवकुंज वृंदावन विहरत गर्व गहेली ॥१॥
कबहुंक प्रीतम रचक झुलावत कबहु नवल प्रिय हेली ।
हरिदास के स्वामी श्यामा कुंजबिहारी  सुंदर देखे द्रुमवेली ॥२॥

No comments:

Post a Comment