देखो देखो नैननि को सुख रथ बैठे हरि आज

देखो देखो नैननि को सुख रथ बैठे हरि आज ।
अग्रज अनुजा सहित स्याम घन सबै मनोरथ साज ॥१॥
हाटक कलसा ध्वजा पताका छत्र चंवर सिर ताज ।
तुरंग चाल अति चपल चलत हैं देखि पवन मन लाज ॥२॥
सुद आषाढ दोज शुभ दिन पुष्य नक्षत्र संयोग ।
बनमाला पीतांबर राजत धूप दीप बहु भोग ॥३॥

 गारी देत सबै मन भावत कीरति अगम अपार ।
मधोदास चरननि को सेवक जगन्नाथ श्रुतिसार ॥४॥

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