राधे तेरे भवन हों आऊं ।
सादर कहत सांवरो मोहन नेंक दूध जो पाऊं ।। १ ।।
मात पिता हूँ विलगु न माने ओर यह भेद न जाने ।
जो तू सोंह करे बाबा की तो मेरे मनमाने ।। २ ।।
सब दिन खेलो मेरे आंगन अपने नेन सिराऊं ।
परमानंद प्रभु विनती किनी अपने मित्र बुलाऊँ ।। ३ ।।
सादर कहत सांवरो मोहन नेंक दूध जो पाऊं ।। १ ।।
मात पिता हूँ विलगु न माने ओर यह भेद न जाने ।
जो तू सोंह करे बाबा की तो मेरे मनमाने ।। २ ।।
सब दिन खेलो मेरे आंगन अपने नेन सिराऊं ।
परमानंद प्रभु विनती किनी अपने मित्र बुलाऊँ ।। ३ ।।
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