भूतल महा महोत्सव आज ।
श्री लक्ष्मण गृह प्रकट भये हैं, श्री वल्लभ महाराज ।। १ ।।
आज्ञा दई दया कर श्री हरी, पुष्टि प्रकटवे काज ।
कलिमें जन्म उबार्यो ततछिन, बूडत वेद जहाज ।। २ ।।
आनंद मूरति निरखत नयनन, फूले भक्त समाज ।
नाचत गावत विवश भये सब, छांड लोक कूल लाज ।। ३ ।।
घर घर मंगल बजत बधाई, सजत नये नये साज ।
मगन भये तन गिनत न काहू, तिन लोक पर गाज ।। ४ ।।
लीलासिंधु महारस अबतें, बंधी प्रेमकी पाज ।
रसिक शिरोमणि सदा विराजो, श्री वल्लभ शिरताज ।। ५ ।।
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