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मंगल रूप निधान श्री वल्लभ
मंगल रूप निधान श्री वल्लभ ।
कोटि अमृत सम, हसी मृदु बोलत, यातें होत क ल्याण ।। १ ।।
परम उदार चतुर चिंतामनी, देत अभय पद दान ।
विष्णुदास जाय बलिहारी, रुचत नहीं आन ।। २ ।।
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