सेस, महेस, गनेस, दिनेस...

सेस, महेस,  गनेस,  दिनेस,   सुरेसहु   जाहि निरन्तर  गावैं ।
जाहि  अनादि, अनंत, अखण्ड,  अछेद  अभेद  सुबेद  बतावैं ।। १ ।।
नारद-से सुक  ब्यास  रटैं,  पचिहारे,  तऊ पुनि  पार न  पावैं ।
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरी छाछ पै नाच नचावैं ।। २ ।।

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