सेस, महेस, गनेस, दिनेस, सुरेसहु जाहि निरन्तर गावैं ।
जाहि अनादि, अनंत, अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं ।। १ ।।
नारद-से सुक ब्यास रटैं, पचिहारे, तऊ पुनि पार न पावैं ।
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरी छाछ पै नाच नचावैं ।। २ ।।
जाहि अनादि, अनंत, अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं ।। १ ।।
नारद-से सुक ब्यास रटैं, पचिहारे, तऊ पुनि पार न पावैं ।
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरी छाछ पै नाच नचावैं ।। २ ।।
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