रंग हो हो होरियां ।
इत बने नवल किशोर ललन पिय उत बनी नवल किशोरियां ।। १ ।।
ये नव नील जलद तन सुन्दर वे कंचन तन गोरियां ।
उनके अरुण वसन तन राजत इनके पीत पटोरियां ।। २ ।।
फेंटन सुरंग गुलाल विविध रंग अरगजा भरी हें कमोरियां ।
छलबल करी दुरि मुख लपटावत चंदन वंदन रोरियां ।। ३ ।।
राखी हें करन दुराय सबन मिल केसर कनक कमोरियां ।
सन्मुख दृष्टि बचाय धाय जाय स्याम सीस तें ढोरियाँ ।। ४ ।।
बाजत ताल मृदंग मुरज डफ मधुर मुरली ध्वनि थोरियां ।
नाचत गावत करत कुलाहल परम चतुर ओर भोरियां ।। ५ ।।
एकन कर गेंदुक नवलासी ओर फूलन भरि झोरियां ।
भाजत राजत भरत परस्पर परिरंभन झकझोरियाँ ।। ६ ।।
ये ही रस निवहो निसवासर बंधी हें प्रेम की डोरियाँ ।
माधुरी के हित सुख के कारण प्रगटी हे भूतल जोरियाँ ।। ७ ।।
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