हालरौ हलरावै माता ।
बलि बलि जाऊँ घोष सुख दाता ॥१॥
जसुमति अपनो पुन्य बिचारै ।
बार बार सिसु बदन निहारै ॥२॥
अँग फरकाइ अलप मुसकाने ।
या छबि की उपना को जानै ॥३॥
हलरावति गावति कहि प्यारे ।
बाल दसा के कौतुक भारे ॥४॥
महरि निरखि मुख हिय हुलसानी ।
सूरदास प्रभु सारंगपानी ॥५॥
बलि बलि जाऊँ घोष सुख दाता ॥१॥
जसुमति अपनो पुन्य बिचारै ।
बार बार सिसु बदन निहारै ॥२॥
अँग फरकाइ अलप मुसकाने ।
या छबि की उपना को जानै ॥३॥
हलरावति गावति कहि प्यारे ।
बाल दसा के कौतुक भारे ॥४॥
महरि निरखि मुख हिय हुलसानी ।
सूरदास प्रभु सारंगपानी ॥५॥
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