मेरे तो गिरिधर ही गुणगान।
यह मूरत खेलत नयनन में , यही हृदय में ध्यान ॥१॥
चरण रेणु चाहत मन मेरो, यही दीजिये दान ॥
कृष्ण दास को जीवन गिरिधर मंगल रूप निधान ॥२॥
यह मूरत खेलत नयनन में , यही हृदय में ध्यान ॥१॥
चरण रेणु चाहत मन मेरो, यही दीजिये दान ॥
कृष्ण दास को जीवन गिरिधर मंगल रूप निधान ॥२॥
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