रास रससागर श्री यमुने जु जानी ।
बहत धारा तन प्रतिछन नूतन, राखत अपने उर मां जु ठानी ॥१॥
भक्त को सहि भार हेतु जो प्रान आधार, अति हि बोलत मधुर मधुर बानी ।
श्री विट्ठल गिरिधरन बस किये, कौन पें जात महिमा बखानी ॥२॥
बहत धारा तन प्रतिछन नूतन, राखत अपने उर मां जु ठानी ॥१॥
भक्त को सहि भार हेतु जो प्रान आधार, अति हि बोलत मधुर मधुर बानी ।
श्री विट्ठल गिरिधरन बस किये, कौन पें जात महिमा बखानी ॥२॥
Raas rassagar ShriYamune ju
jaani.
Bahat dhara tan pratichin nutan, rakhat apne urmanju thani.
Bhakt ko sahe baar, dhet ju pranaadhar, atihi bolat madhur madhur baani.
Shri Vithal Giridharanvar bas kiye, kaun pe jaat mahima bakhani.
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