सब मिली ग्वालिनी देत असीस

सब मिली ग्वालिनी देत असीस |
नंदरानी ढोटा जीवौ कोटि बरीस || १ ||

धन्य यह कूँखि भरी सुभ लच्छिन जिन सगरौ ब्रज छायौ |
ऐसौ पूत जायौ नंदरानी जिन करि अटल बसायौ || २ ||

अब यै बेगि बढौ तुमरे गृह ठुम ठुम खेलत डोलै |
श्री विठ्ठलगिरिधर रानी तुमसों मैया कही कही बोलै || ३ ||

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