मेरे घर चंदन अति कोमल, लीजे हो सुंदर वर नायक ।
हौं अबला बहु जतन प्राणपत, कनक पात्र लाई तुम लायक ।। 1 ।।
उत्तम घस गुलाब केसरसों, विविध सुगंध बीच मिलायक ।
बहो जुवतिन मनहरण रसिक वर, नंदकुमार सुरत सुखदायक ।। 2 ।।
सुन विनती नंदनंदन पिय, बहोत भांत मधुर मृदु वायक ।
'कृष्णदास' प्रभु कृपा नैन जल, छूटे लूटत मदन के सायक ।। 3 ।।
हौं अबला बहु जतन प्राणपत, कनक पात्र लाई तुम लायक ।। 1 ।।
उत्तम घस गुलाब केसरसों, विविध सुगंध बीच मिलायक ।
बहो जुवतिन मनहरण रसिक वर, नंदकुमार सुरत सुखदायक ।। 2 ।।
सुन विनती नंदनंदन पिय, बहोत भांत मधुर मृदु वायक ।
'कृष्णदास' प्रभु कृपा नैन जल, छूटे लूटत मदन के सायक ।। 3 ।।
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