अरी वह नंद महर कौ छोहरा

अरी वह,नंद महर कौ छोहरा, बरज्यौं नहीं मानैं ।
प्रेम लपेटौ अटपटौ औरु मोहि  सुनावै दोहरा ।। १ ।।
                                                   बरज्यौं नहीं मानैं नंद महर कौ छोहरा,
कैसे कै जाऊं दुहावन गैया, आये अगोरे गोंहरा ।
नख-सिख रंग बोरै औ तोरै, मोरे गरे को डोहरा ।। २ ।। बरज्यौ...

गारी दै दै भाव जनावै, और उपजावै मोहरा ।
गोविन्द प्रभु बलवीर बिहारी प्यारी, राधा कौ मीत मनोहरा ।। ३ ।। बरज्यौ...

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