मोहिं सों निठुराई ठानी ही

मोहिं सों निठुराई ठानी ही, मोहन प्यारे काहे कों आवन कह्यों, सांचे हो जू सांचे ।
प्रीत के बचन वाचे, बिरहानल आंचे, अपनी गरज को तुम, इक पाई नाँचे ।। 1 ।।

भले हो जू जानें लाल, अरगजा भींनी माल, केसरि तिलक भाल, मेंन मंत्र काचें ।
निसि के चिन्ह चिन्हे, सूर स्याम रति भींने, ताहि के सिधारौ पिय, जाके रंग राचे ।। 2 ।।

No comments:

Post a Comment