झूलत तेरे नयन हिंडोरे

झूलत तेरे नयन हिंडोरे,झूलत तेरे नयन हिंडोरे ।
श्रवण खंभ, भ्रुभई मयार, दृष्टि करण, डांडी चहूँ ओरें ।। 1 ।।

पटली अधर, कपोल सिंहासन, बैठें युगल रूप रति जोरें ।
कचघन आड़, दामिनी दमकत मानों, इन्द्रधनुष अनुहोरें ।। 2 ।।

दूर देखत, अलकावललि अलिकुल, लेत सुगंधन, पवन झकोरें ।
बरणी चमर, ढूरत चहूँ दिशतें, लर लटकन, फूंदना चितचोरें ।। 3 ।।

थकित भये, मंडल युवतिनके, युग ताटंक लाज, मुख मोरें ।
रसिकप्रितम, रसभावसों झूलावत, रिमझिम रिमझिम, डारत तृण तोरें ।। 4 ।।

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